Janaki Mata Aarti

Janaki Mata Aarti

॥ जानकी माता आरती ॥

आरती कीजै श्रीजनक लली की।

राममधुपमन कमल कली की॥

आरती कीजै श्रीजनक लली की...॥

रामचन्द्र, मुखचन्द्र चकोरी।

अन्तर साँवर बाहर गोरी।

सकल सुमन्गल सुफल फली की॥

आरती कीजै श्रीजनक लली की...॥

पिय दृगमृग जुग-वन्धन डोरी,

पीय प्रेम रस-राशि किशोरी।

पिय मन गति विश्राम थली की॥

आरती कीजै श्रीजनक लली की...॥

रूप-रास गुननिधि जग स्वामिनि,

प्रेम प्रवीन राम अभिरामिनि।

सरबस धन हरिचन्द अली की॥

आरती कीजै श्रीजनक लली की...॥

Today's Astrological Thoughts

“There is no greater astrologer than time itself.”

— Ramayana